दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत नहीं मिली, उनकी न्यायिक हिरासत को 1 जून तक बढ़ा दिया गया है। सिसोदिया को मंगलवार 23 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया था। इसी बीच मनीष सिसोदिया का एक वीडियो शेयर कर आप नेताओं ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज और आतिशी समेत तमाम नेताओं ने मनीष सिसोदिया के साथ दुर्व्यवहार को लेकर सवाल उठाया है।
अरविंद केजरीवाल ने पूछा-ऊपर से कहा गया है क्या?
दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने वीडियो शेयर कर लिखा, “राउज एवेन्यू कोर्ट में पुलिसकर्मी द्वारा मनीष जी के साथ इस तरह दुर्व्यवहार। दिल्ली पुलिस को उन्हें तुरंत सस्पेंड करना चाहिए।” इस पर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “क्या पुलिस को इस तरह मनीष जी के साथ दुर्व्यवहार करने का अधिकार है? क्या पुलिस को ऐसा करने के लिए ऊपर से कहा गया है?”
सौरभ भारद्वाज ने की अधिकारी को सस्पेंड करने की मांग
वहीं दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने वीडियो पर कहा, ” क्या पुलिस को इस तरह मनीष जी के साथ दुर्व्यवहार करने का अधिकार है? क्या पुलिस को ऐसा करने के लिए मोदी जी ने कहा है? दिल्ली पुलिस को इस अफ़सर को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए।” आप के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, “दिल्ली पुलिस की मनीष जी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करने की हिम्मत कैसे हुई? मोदी जी आपकी तानाशाही पूरा देश देख रहा है।”
पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा, “दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री, मनीष सिसोदिया को दिल्ली पुलिस द्वारा गर्दन पकड़ कर ऐसे घसीटा जाना, किस न्यायिक प्रक्रिया का अंग है? दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले मनीष सिसोदिया क्या कोई आतंकवादी है? नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे लुटेरे विदेश में मौज काट रहे हैं। दिल्ली पुलिस का ये व्यवहार बेहद शर्मनाक है।” राज्यसभा सांसद और आप नेता संजय सिंह ने कहा, “पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर, मनीष सिसोदिया की गर्दन पकड़कर खींचता हुआ ये पुलिस अधिकारी अपने आका को खुश करने के चक्कर में भूल गया कि न्यायालय इसकी नौकरी भी ले सकता है। मा.न्यायालय इस घटना का संज्ञान ले। मोदी जी आपकी तानाशाही पूरा देश देख रहा है।”
वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि “राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के समय श्री मनीष सिसोदिया के साथ पुलिस दुर्व्यवहार की बात दुष्प्रचार है। वीडियो में प्रचारित पुलिस की प्रतिक्रिया सुरक्षा की दृष्टि से अनिवार्य थी। न्यायिक अभिरक्षा में अभियुक्त द्वारा मीडिया को वक्तव्य जारी करना विधि विरुद्ध है।”
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